आत्मकथा
Translation: सुलभा कोरे
Publisher: भारतीय प्रकाशन, लखनऊ – 1998
सांसद और समाजसेवी स्व. मधु लिमये जी की मराठी ‘आत्मकथा‘ के प्रथम खंड का यह हिन्दी अनुवाद. मधु लिमये जी के ये संस्मरण उस वक्त का समाज, समाजनीति, लोगों और राजनीति का एक सच्चा और ईमानदार खांका प्रस्तुत करते है. उनकी धर्मपत्नी चम्पा लिमयेजी द्वारा अनुवाद का यह महान कार्य मुझे सौंपकर मुझ पार जो भरोसा किया गया, उसका कोई जोड़ नहीं. उन्होंने यह कार्य मुझसे करवाकर मुझे उपकृत किया है.